प्राचीन नाम- खल्लारी का प्राचीन नाम खल्लवाटिका था।अब इस जगह को खल्लारी के नाम से जाना जाता है।
दुर्गा माँ का मंदिर- पहाड़ के ऊपर विराजमान है माँ दुर्गा का मंदिर जिन्हें खल्लारी माता कहते हैं।
भंडारा का आयोजन- खल्लारी माता के दरबार में नव दिनों तक विशाल भण्डारा का आयोजन होता है।
कुल सीढ़ी- माँ खल्लारी माता के मंदिर में लगभग 844सीढ़िया चढ़ने के बाद ही माता जी के दर्शन होते है।
मेले का भव्य आयोजन- माँ खल्लारी माता के मंदिर में चैत पूर्णिमा के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है ।
अन्य मूर्ति- माँ खल्लारी माता के मंदिर में श्री राम मंदिर, शिव मंदिर,जगन्नाथ मंदिर तथा काली माता की प्रतिमा विराजमान है।
किला का अवशेष- खल्लारी में आज भी देखा जा सकता का किले का अवशेष तथा अनेक प्रकार से नक्कासीदार पत्थर के अवशेष तथा स्तम्भ दिखाई देता है।
मंडप नुमा खंडहर- एक प्राचीन मंडप नुमा खंडहर है जिसे लखेसरि गुंडी के नाम से जाना जाता है।
आश्चर्यजनक है यह डोंगा पत्थर- खल्लारी के पहाड़ की चोटी पर स्थित है यह डोंगा पत्थर जिस देखनेे से ऐसा लगता है की धक्का देने से यह पत्थर नीचे गिर जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं है यह पत्थर बड़ी मज़बूती के साथ एक स्थान पर ठीक हुआ है।
खल्लारी माता आपकी मनोकामना को पूरा करे !!जय माता दी!!
Jai maa khalari.
Jai mata di