पता- यह दक्षिणाभिमुखी शैलाश्रय यह रायगढ़ से 20 किलोमीटर पश्चिम में एक पहाड़ी पर अवस्थित हैं।
30 हज़ार ईसापूर्व से हैं यह चित्रित शैलाश्रय- चित्रित शैलाश्रय जिसकी तिथि 30 हजार ईसापूर्व निधारित की जा सकती हैं।
प्राचीन शैल चित्रयुक्त – यह छत्तीसगढ़ में प्राप्त प्राचीन शैल चित्रयुक्त शैलाश्रयो में से एक हैं।
प्राकृतिक दुष्प्रभाव – इस शैलाश्रय के चित्र अत्यधिक समय के बीत जाने एवं प्राकृतिक दुष्प्रभावों के कारण धूमिल होते जा रहे है।
सुंदर अंकित यह शैलचित्र – यह शैलचित्रों में सीढ़ीनुमा, पुरुष्, मत्स्यांगना, शिकार दृश्य, पंक्ति बंध् नर्तक टोली एवं
मानवाकृतियाँ सम्मिलित हैं।
अद्वितीय अंकन के डिजाइन – यह मत्स्यांगना,कंगारु सदृश्य पशु, गोधा एवं सर्पाकृति डिजाइनों के अंकन अद्वितीय है।
चित्रित शैलाश्रय के खोजकर्ता – एंडरसन द्वारा लगभग 1910 में चित्रित शैलाश्रय की खोज की गई थी।
आकार में बड़ा हैं यह चित्रित शैलाश्रय- यह पूर्वाभिमुख चित्रित शैलाश्रय साईज या आकार में बड़ा हैं।
शैलाश्रय की कुल पेंटिंग- इस शैलाश्रय में पहले 23 पेंटिंग देखी गई थी लेकिन जिनमें से अब केवल 13 चित्र ही बचे हैं।
विविध आकृतियां – इस शैलाश्रय में विविध पशु की आकृतियां बंदर, वन भैंसा, छिपकली या गोह एवं पंक्तिबंद् नृत्य करती हुई नर्तकों की टोली का अंकन में आदिमानवों की कला -संस्कृति का अधतन जीवित हैं।
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