स्थान –कोंडागांव से लगभग 70 किलोमीटर दूर(व्हाया नारायणपुर) भोंगापाल नामक गांव के पास 2 किलोमीटर की दूरी पर घने वन में लसुरा नदी के तट पर स्थित है बौद्ध चैत्य गृह।
ऐसा मात्र स्थल- बस्तर में एक मात्र यही स्थल ऐसा जहां ईट निर्मित चैत्य गृह था।
डोकरा बाबा – ईट निर्मित चैत्य गृह विनस्ट हो जाने से ईट निर्मित टीले पर बुद्घ की विशाल प्रतिमा थी। जिसे स्थानीय लोग डोकरा बाबा के नाम से पूजा करते है।
उत्खनन के पश्चात-
सन 1990-91 में हुए उत्खनन कार्य से यह चैत्य गृह प्रकाश में आया है।
दो शिव मंदिर – इसी के पास दो अन्य टिलो पर भी दो- दो शिव मंदिर उत्खनन से अनवृत हुए हैं।
चैत्य गृह का निर्माण- अनुमान है कि इस चैत्य गृह का निर्माण छ्ठी शती ईस्वी में हुआ है।
विशेष महत्वपूर्ण- यह स्मारक पुरात्तावीय दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण है।
बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार – साथ- साथ जनजातीय बाहुल्य अंचलों में स्थापत्य कला के अध्ययन अनुसंधान की दिशा में
भोंगापाल अद्वितीय है।
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