पता- यह अम्बिकापुर के दक्षिण में लखनपुर से लगभग 10 कि.मी. की दूरी पर कलचा ग्राम में स्थित है यह सतमहला मंदिर।
गर्भगृह में विराजमान- सतमहला मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हैं प्राचीन शिवलिंग।
ऐतिहासिक स्थल- सतमहला छत्तीसगढ़ राज्य में एक ऐतिहासिक स्थल हैं।
सात भग्न प्राचीन मंदिर- सतमहला मंदिर में ईटो से निर्मित सात भग्न प्राचीन मंदिरों का समूह हैं।
8-9वीं शती ईस्वी का मंदिर- माना जाता हैं की यह मंदिर 8-9वीं शती ईस्वी में निर्मित हुआ होगा।
प्रचलित किंवदन्ति के अनुसार- सतमहला मंदिर हैंहयवंशी राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन जब शिकार खेलने आये थे तो यहां पर निवास किये थे तथा इन मन्दिरों का निर्माण कराया था।उपलब्ध भग्नवशेषो के आधार पर यहां प्रथमत: सोमवंशी एवं तत्प्श्चात त्रिपुरी के कलचुरियों के द्वारा कला संस्कृति को राज्याश्रय प्राप्त हुआ था।
सात जगह भग्नावशेष है- छत्तीसगढ़ के इस ऐतिहासिक स्थान पर सात जगह भग्नावशेष हैं।स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर प्राचीन काल में सात विशाल शिव मंदिर थे, जबकि जनजातियों के अनुसार इस स्थान पर प्राचीन काल में किसी राजा का ‘सप्त प्रांगण महल’ था।
कई दर्शनीय स्थल- यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें ‘शिव मंदिर’, ‘षटभुजाकार कुंआ’ और ‘सूर्य प्रतिमा’ प्रमुख हैं।
पुरातात्त्विक महत्त्व की चीजें- सतमहला में जगह-जगह पुरातात्त्विक महत्त्व की चींजे बिखरी हुई हैं, जिनके रखरखाव की दिशा में शासन प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की गई है, जिस कारण ऐतिहासिक महत्व की इन धरोहरों के नष्ट होने व चोरी चले जानें की आशंका बनी हुई है।
प्राचीन महल व मंदिर के अवशेष- सूरजपुर से 30 कि.मी. दूर ‘देवगढ़’ व ‘कलचा’ में प्राचीन महल व मंदिर के अवशेष बिखरे हुए हैं, जिनके रखरखाव की जरूरत है। सतमहला में जहां सात महल के अवशेष हैं तो वहीं एक ही स्थान पर 10 तालाब भी हैं, जो तत्कालीन समय में जल के संरक्षण की दिशा में चिंता को इंगित करता है।