सिद्ध शक्ति पीठ मां चंडी, महासमुंद (छ.ग)

                  चंडी माता मंदिर बिरकोनी, महासमुंद

सिद्ध शक्ति पीठ मां चंडी, महासमुंद (छ.ग)

पता – महासमुन्द  जिला से लगभग 10 कि.मी कि दुरी पर  बिरकोनी  नामक गांव में स्थित है मां चण्डी माता का मंदिर।

सिद्ध शक्ति पीठ मां चंडी, महासमुंद (छ.ग)

सिद्ध शक्ति पीठ –  मां चंडी को सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है ।

गर्भ गृह – मंदिर के गर्भगृह में मां चंडी माता विराजमान हैं।

मेले का आयोजन – मां चंडी के मंदिर में छेरछेरा पुन्नी के दिन विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमे भारी संख्या में लोग यहां आते हैं।

मनोकामना ज्योति  – मां चंडी के मंदिर में नवरात्री के दोनों पक्ष में भक्तो के द्वारा मनोकामना ज्योति प्रच्चवलित की जाती है। नवरात्रि में मां चंडी के दर्शन करने के लिए दूर – दूर से भक्त इस मंदिर में पहुंचते है।

सिद्ध शक्ति पीठ मां चंडी, महासमुंद (छ.ग)

संतान संबंधी मनोकामना – मां चंडी माता मंदिर में संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां चंडी भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती हैं।

सिद्ध शक्ति पीठ मां चंडी, महासमुंद (छ.ग)

चण्डी माता का इतिहास – किवदंती के अनुसार, माना जाता है कि बिरकोनी के समीप एक लालपुर नामक एक छोटा सा गांव था  उस गांव में हैजा का प्रकोप अधिक बड गया था । लोग धीरे- धीरे  मर रहे थे तभी उस गांव में एक ऐसी घटना घटी की एक महिला और उसकी दो संतान कि हैजा से मृत्यु हो गयी तब उनकी अंतिम क्रिया करने वाले लोगो कि कमी थी सभी लोग एक- एक करके हैजा से मरते जा रहे थे|तभी बड़ी मुश्किल से लाश उठाने के लिए चार आदमी मिले | चारो लोग उसकी लाश को अंतिम क्रिया करने के लिये उस गांव से बहार ले जा रहे थे।तभी धीरे – धीरे शाम होने लगी तभी रास्ते में जंगल पड़ा और जाते जाते रात हो चुकी थी

तभी उसमे से एक व्यक्ति ने बोला कि अधेरा हो चूका है लालटेन को जला दो | तभी वह अपने समान में खोजने लगा तब पता चला कि लालटेन तो वह घर में ही भूल गया हूं। तभी उसमे से एक व्यक्ति ने कहा कि मै अकेले नहीं जाऊंगा क्योंकि रास्ते में जंगली जानवर भी हो सकता है। तभी चारों व्यक्ति ने लाश को वहीं पर रखकर लालटेन लाने के लिए घर की ओर जाने लगी तभी उसी समय एक आश्चर्य जनक घटना हुई तभी चारों व्यक्ति ने पीछे मुड़कर देखा तो लाश में दिव्य आत्मा प्रवेश कर  चुकी थी।वह अद्भुत रूप से श्रृंगार किये हुए थी। ऎसा नजारा देख वह व्यक्ति उस जगह से भागने लगे तभी

 उस दिव्य युवती ने बोला कि मुझसे डर कर भागने की जरूरत नहीं है तब माता ने कहा कि मै अपनी इच्छा से इस महिला के शरीर में प्रकट हुई हूं। मय सभी भक्तो का दुःख दर्द दूर करने के लिए यह स्वरूप धारण किया हूं।इस स्थान में एक छोटा सा मंदिर बनवा दो और मेरी पूजा अर्चना करो।

ऐसा कहकर माता उस जगह से अंतर ध्यान हो गई ।तब चारो व्यक्ति इस बात को वापस अपने गांव में जाकर सभी को सुनाने लगे तभी गांव वाले ने उनकी बात को नहीं माना।

तब एक गौटीया को माता जी ने सपना देकर कहा कि उन चारो कि बात सत्य है| मै उस स्थान पर प्रकट हुई थी। वहा पर मेरा एक छोटा सा मंदिर बनवा दो। तभी ग्रामवासियों ने एक छोटा सा मंदिर
उस जगह में बनवा दिया। तभी से उस मंदिर में पूजा अर्चना होती आ रही है।

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