पता –कोसमनारा से 19 किलोमीटर दूर देवरी, डूमरपाली में एक स्थान बैठ हुआ है सत्यनारायण बाबा।
हठयोगी – बाबा जी भीषण गर्मी हो या कड़ी ठंडी हठयोग की ही मुद्रा में लीन रहते हैं।16 फरवरी 1998 से तपस्या में लीन बाबा सत्यनारायण को यह हठ योग करते 19 वर्ष बीत गए।
14 साल की उम्र में – सत्यनारायण बाबा जी ने 14 वर्ष की उम्र से तपस्या में लीन है।
बाबा जी का जन्म – 12 जुलाई 1984 को सत्यनारायण बाबा
जी का जन्म हुआ था।
माता और पिता का नाम – सत्यनारायण बाबा जी के पिता का नाम दयानिधि साहू एवं माता का नाम हँसमती साहू है।
खुले आसमान के नीचे –कोसमनारा के सत्यनारायण बाबा खुले आसमान के नीचे ही रहकर तपस्या में लीन रहते हैं।
बचपन का नाम – बाबा जी का बचपन का नाम हलधर साहू था। जो आगे चल कर बाबा सत्यनारायण के नाम से जाने जाते है।
उड़ता देखा गया सांप – बाबा धाम के मंदिर के ऊपर से उड़ता देखा गया सांप इस स्थल में बाबा सत्यनारायण कठोर तपस्या में लीन रहते हैं।
बाबा जी का आहार –बाबा सत्यनारायण कठोर तपस्या में को उठते है तब दूध लेते हैं लेकिन बाबा कब दूध ग्रहण करते हैं यह
किसी को पता नहीं है।
अखंड धूनी – एक सप्ताह बाद एक सेवक बाबा से विनती करके अग्नि धूनी प्रज्वलित कर दिया जो अखंड धूनी के रूप आज भी निरन्तर जलती ही रहती है।
आध्यात्मिक बालक – बचपन से ही बाबा जी आध्यात्मिक बालक थे। वह बचपन से ही अध्यात्म की तरफ ही अकेले चल पड़े थे।
असीम शक्ति – कोसमनारा के सत्यनारायण बाबा कुछ असीम शक्तिया हैं जिनके कारण वह घोर तपस्या में ही लीन रहते है।
अद्भुत है कोसमनारा के सत्यनारायण बाबा –सत्यनारायण बाबा
कब समाधि से उठते हैं कब क्या खाते हैं यह किसी को पता नहीं चल पाया है। बाबा बात नही करते मगर जब ध्यान तोड़ते हैं तो भक्तों को इशारे में ही संवाद कर लेते है ।आज भी सत्यनारायण बाबा घोर कठोर तपस्या में ही लीन रहते हैं।
रायगढ़ की धरा को तीर्थ स्थल बनाने वाले बाबा सत्यनारायण के दर्शन करने वाले भक्तों के लिए अब कोसमनारा में लगभग हर व्यवस्था है किंतु बाबा ने खुद के सर पर छांव करने से भी मना किया हुआ है। आज भी बाबा जी का कठोर तप जारी है।
महाशिवरात्रि में – बाबा धाम में महाशिवरात्रि पर्व पर यहां मेले का भी आयोजन होता है हजारों की संख्या में लोग सत्यनारायण बाबा के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।
सत्यनारायण बाबा की कहानी – मान्यता के अनुसार कोसमनारा से 19 किलोमीटर दूर देवरी, डूमरपाली में एक साधारण किसान दयानिधि साहू एवं हँसमती साहू के परिवार में 12 जुलाई 1984 को एक बालक का जन्म हुआ, माँ और बाप मिलकर एक नाम रखा हलधर साहू ।
हलधर बचपन से ही अध्यात्म की तरफ ही चल पड़े थे। एक बार गांव के ही तालाब के पास बगल में स्थित एक शिव मंदिर है वहां
हलधर लगातार 7 दिनों तक तपस्या में लीन रहते थे। उनके माँ बाप और गांव वालों ने उन्हें बहुत है समझाया लेकिन वह घर लौटे तो जरूर, मगर एक तरह से उनके मन मस्तिष्क में स्वयं शिव उनके भीतर विराज चुके थे।
14 साल की उम्र में एक दिन वे स्कूल जाने के लिए बस्ता को ले कर निकले मगर वह स्कूल नही गया। सफेद शर्ट और खाकी हाफ पैंट के स्कूल ड्रेस में ही वह रायगढ़ की ओर जाने लगे। अपने गांव से लगभग 19 किलोमीटर दूर और रायगढ़ से सट कर स्थित कोसमनारा वो पैदल ही पहुचे गए। कोसमनारा गांव से कुछ दूर पर एक बंजर जमीन था।उस जमीन में उन्होंने कुछ पत्थरो को इकट्ठा कर वह पत्थर को वह एक शिवलिंग का रूप दिया और अपनी जीभ काट कर उस शिवलिंग को समर्पित कर दिया। कुछ दिन तक वह किसी को पता नही चला लेकिन धीरे से पता चलने जंगल मे आग की तरह खबर फैली तो इस जगह पर लोगों का भीड़ उमड़ पड़ा।
सत्यनारायण बाबा आपकी मनोकामना को पूर्ण करे
🙏 !! ओम नमः शिवाय !! 🙏
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बाबा धाम के मंदिर के ऊपर से उड़ता देखा गया सांप का वीडियो जरूर देखे ।
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