भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था l Why was India known As The Golden Bird In Hindi
हैलो दोस्तो मेरा नाम है हितेश कुमार इस पोस्ट मे आपको भारत को प्राचीन काल में सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था जिसके बारे में जानकारी देने वाले है यह पोस्ट आपको अच्छा लगे तो कॉमेंट और शेयर जरूर करे।
भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था

दोस्तों एक समय था जब सारे देश भारत पर राज करने का सपना देखते थे क्योंकि भारत दुनिया का सबसे अमीर देशों में से एक था भारत देश शुरू से ही समृद्ध और संपन्न रहा है और भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था.लेकिन दोस्तों अब सवाल यह उठता है कि पुराने समय में भारत देश को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था?अगर भारत सोने की चिड़िया था तो इसके सोने के पंख कहां हैं?मतलब ऐसा क्या हुआ कि भारत की गिनती अब अमीर देशों में नहीं की जाती है lभारत को प्राचीन काल में सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था?और इससे आपको यह भी पता चल जाएगा पहले भारत के पास कितना सोना था और अब भारत की ऐसी हालत क्यों हो गई है?
प्राचीन भारत का लघु उद्योग
दोस्तों प्राचीन भारत में कोई भी ऐसा इंसान या घर नहीं था जिसके अपना खुद का छोटा सा उद्योग न हो इसी वजह से भारत के लोगों को जो भी चीज़ चाहिए थी उसे सारी भारत में ही मिल जाया करती थी और बाहर से कुछ खरीदने की आवश्यकता ही नहीं होती थी इसी वजह से भारत का धन भारत में ही घूमता रहता था।
कृषि प्रधान देश
दोस्तों जैसे कि हम सब सबको पता है कि भारत को किसी प्रधान देश प्राचीन काल से ही कहा जाता है.दोस्तों भारत में इस वक्त भी खेती एक अहम् उद्योग होता है, भारत में विभिन्न प्रकार के उत्पादन होते हैं जिसमें मसाला, कपास, चावल, गेहूं, चीनी जैसी बहुत सारी चीज़ों का उत्पादन भारत में ही होता है।
भारत का आयात और निर्यात
दोस्तों भारत में उस वक्त बहुत सारी चीज़ों का निर्यात होता था.जैसे कि कपास, चावल, गेहूं,चीनी जबकि मसलों में मुख्य रूप से हल्दी, काली, मिर्च, दालचीनी, जटा मानसिक इत्यादि शामिल थे.इसके अलावा आलू, तिल का तेल, हीरे, नील मणि आदि के साथ साथ पशु उत्पादन रेशम, चरम पत्र, शराब और धातु उत्पाद जैसे ज्वेलरी, चांदी से बने पदार्थ आदि निर्यात किए जाते थे जब कि सोने के रोमन सिक्के के कांच के बने पदार्थ शराब दवाएं, तीन, तांबे, चांदी के बने आभूषण जैसी चीज़ों का भारत में आयात किया जाता था l
भारत का व्यापार
दोस्तों उस वक्त भारत का व्यापार बहुत ही तेजी से चल रहा था.बाहर के लोग भारत में आकर सोना देकर इसे ले जाते थे इस तरह खेती और अन्य चीज़ों में भी ऐसा ही होता था.इसी वजह से भारत पर काफी मात्रा में सोना आया करता था और दोस्तों यह भी एक वजह थी कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।
मोर सिंहासन
भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे मोर सिंहासन का भी बहुत बड़ा योगदान था.दोस्तों उस समय की सिंहासन की एक अलग ही पहचान हुआ करता था.इस मोर सिंहासन को बनाने के लिए इतना खर्चा हुआ था कि इतने धन में दो ताज महल का निर्माण किया जा सकता था.इतिहासकारों के अनुसार मोर सिंहासन को बनाने के लिए करीब एक हज़ार किलो सोने और बेस कीमती पत्थरों का प्रयोग किया गया था.दोस्तों आज के जमाने में मोर सिंहासन की कीमत चार सौ पचास करोड़ रुपए के आस आसपास होती है।
कोहिनूर हीरा
दोस्तों आप सभी को कोहिनूर हीरे के बारे में तो ज़रूर सुना होगा.यह बेस कीमती हीरा एक समय में भारत के पास हुआ करता था और भारत को सोने की चिड़िया कहलाने में कोहिनूर हीरा का बहुत बड़ा योगदान था.कोहिनूर हीरे का के वजन 21.6 ग्राम है और बाज़ार में इसकी वर्तमान की मात्र एक अरब डॉलर के करीब है.दोस्तों यह बे कीमती को कोहिनूर हीरा गुलकुंडा की खदान से मिला था और दक्षिण भारत के काकतीय राजवंश को इसका प्राथमिक हकदार माना जाता है,।लेकिन आज वो हीरा ब्रिटेन की महारानी के पास है.
दोस्तों मोहम्मद गज ने भारत पर हमला किया था.उसकी बड़ी वजह भारत की स्मृति ही थी.मोहम्मद गजनवी ने सन एक हज़ार एक ईस्वी में भारत के जय पालको हराकर उस किले से चार लाख सोने के सिक्के लूट लिए थे.हर सिक्के का वज़न एक सौ बीस ग्राम का था. इसके बाद गजनवी ने बहुत सारे राज्य को भी लूट लिया था.सन एक हज़ार पच्चीस ईस्वी में उसने गुजरात पर हमला किया और गुजरात के सोमनाथ मंदिर से करीब पैंतालीस हज़ार करोड़ की कीमत के दो मिलियन दिनार उसने वहां से लूट लिए थे.
नागीर शाह का आक्रमण और लूट
दोस्तों मोहम्मद गजनवी के बाद भारत के नागीर शाह भारत को लूटने के इरादें से भारत में आया और उसमें भारत के तत्कालीन गद्दार राजाओं की मदद से भारत को बहुत लूटा और इस लूट में को अपने साथ बहुत सारा सोना और मोर सिंहासन को भी भारत से ले गया.जो कि बेहद कीमती था.
अंग्रेज़ों की लूट
दोस्तों एक के बादएक लगातार भारत को दूसरे देश ने लूटा क्योंकि भारत के अंदर बहुत सारे लालची और गद्दार राजा मौजूद थे.तो भला अंग्रेज़ ऐसा मौका अपने हाथ से कैसे जाने देते उन्होंने भी भारत के लालची राजाओं और लोगों की मदद से भारत को गुलाम बना लिया और दोनों हाथों से अपने इस देश को पूरी तरह से लूट लिया और अपने साथ को कोहिनूर हीरा भी ले गए।
मंदिरों में सोने का भंडार
दोस्तों भारत को इतने सारे देश के लोगों ने लूटा फिर भीआज भारत में बाईस हज़ार टन लोगों के पास मौजूद है.जिसमें तीन से चार हज़ार टन सोना भारत के मंदिरों में आज भी मौजूद है अगर बस 2018-19 के आंकड़े देखें से पता चलता है कि केरल सरकार की वार्षिक आए 1.3 तीन lakh करोड़ रुपए है जबकि केरल के पदहम स्वामी मंदिर के किसी गगृह के एक कोने में इतनी रकम का सोना बहुत ही आसानी से मिल जाएगा.
निष्कर्ष
दोस्तों हमने देखा कि प्राचीन भारत के पास क्या क्या मौजूद था जिसकी बदौलत भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था अगर भारत में उस वक्त गद्दार मौजूद न होते तो भारत के सोने की चिड़िया के पंख कोई भी काट नहीं सकता था, ना अंग्रेज़ ना मुगल और ना ही मोहम्मद गजनवी.दोस्तों भारत में लगातार हुई लूट की वजह से आज सोने की चिड़िया कहे जाने वाला भारत देश की तुलना में विश्व के विकसित देशों की तुलना में एक बहुत ही खराब है.लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि भारत पूरेबीस में एक बहुत तेजी से अपनी सफलता के झंडे गाड रहा है और वह समय बहुत जल्द आएगा जब लोग भारत को फिर से सोने की चिड़िया के नाम बुलाएंगे
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!! धन्यवाद !!