छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा क्यों कहते है। धान का कटोरा छत्तीसगढ़। chhattisgarh ko dhan ka katora kyu kaha jata hai

हैलो दोस्तो मेरा नाम है हितेश कुमार इस पोस्ट में मैं आपको छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा क्यों कहते थे जिसके बारे में जानकारी देने वाले है यह पोस्ट आपको अच्छा लगे तो कॉमेंट और शेयर जरूर करे।

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा क्यों कहते है

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा क्यों कहते है। धान का कटोरा छत्तीसगढ़। chhattisgarh ko dhan ka katora kyu kaha jata hai

छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की लगभग 80% मुख्य कार्यशील जनसंख्या कृषि से आजीविका पाती हैं। यहाँ सर्वाधिक क्षेत्रफल में धान की खेती की जाती है। धान की अनेक प्रजातियों और विपुल उत्पादन ही कारण इसे धान का कटोरा कहा जाता है। यहाँ की संस्कृति अर्थात छत्तीसगढ़ वासियों की सम्पूर्ण जीवन शैली धान और चावल पर ही संधारित होती रही है। इस राज्य में देश के किसी भी क्षेत्र की तुलना में धान की सर्वाधिक प्रजातियाँ पायी जाती हैं। राज्य और यहाँ के निवासियों का जीवन इसी पर आधारित है। जीवन संस्कार के विविध सोपानों के साथ ही छत्तीसगढ़ के लोगों के धर्म और अनुष्ठान, खानपान तथा अर्थ व्यवस्था में भी धान और चावल की ही प्रमुखता सवर्त्र दिखाई देती है। आम तौर पर लोग इसे मात्र एक अन्न के रूप में ही जानते हैं पर छत्तीसगढ़ में यह इसके अलावा भी बहुत कुछ है।

धान की किस्म

छत्तीसगढ़ में धान की किस्मों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। | हरहुन यानी देर से पकने वाले और पतले धान जिसमें दुबराज सफरी, बादशाह भोग, विष्णु भोग, जीराफूल, जवांफूल आदि तथा गरहुन अर्थात जल्द पकने वाले मोटे धान जिनमें गुरमटिया, लुचई, पलटू परेवा आदि सम्मिलित हैं। प्रदेश में धान की 20000 से अधिक किसमें पायी जाती है।

पद्धति

छत्तीसगढ़ में दो विधियों छींटा एवं रोपा से चावल उगाया जाता है। रोपा विधि में पौधा तैयार करके उसे खेतों में लगाया जाता है। इस विधि से 15 – 20 % उपज अधिक होती है। छींटा विधि में बीज का सीधे छिड़काव किया जाता है।

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र

छत्तीसगढ़ में चावल मुख्यतः छत्तीसगढ़ के मैदान में अधिक होता है। 1 इसके क्षेत्र है- दुर्ग, चांपा-जांजगीर, रायपुर बिलासपुर. राजनंदगांव, कोरबा, सरगुजा के साथ साथ जहाँ सिंचाई की अधिक सुविधा उपलब्ध है वहाँ वर्षा उपरांत भी फसल ली जाती है। धमतरी. रायपुर, दुर्ग जांजगीर चांपा आदि में ठंड व ग्रीष्मकालीन फसल ली जाती है।

धान छत्तीसगढ़ी संस्कृति का हिस्सा

छत्तीसगढ़ की संस्कृति में जीवन के प्रत्येक संस्कार में धान और चावल के उपयोग की अनिवार्यता है। जन्म के बाद शिशु को प्रसव कराने वाली दाई से धान भरे सूप में लिटाकर लेने से लेकर मृत्यु संस्कार में चावल से बने पिंड से पिंड दान तक हर सोपान में चावल की महत्ता है। छत्तीसगढ़ में विदाई में बेटी, बहन को गोद भराई जैसी ही ओली भराई की जाती रही है जिसमें उसके आँचल में चावल या धान भरा जाता है। मेहमानों को भी यदा-कदाबिदा करते हुए उपहार स्वरूप धान या चावल दिए जाते रहे हैं। भिक्षा और दान तो इन्हीं का ही किया जाता रहा है जजमानी प्रथा के लेनदेन धान से ही हुआ करते थे।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी धान की महत्ता

पिछला चुनाव कांग्रेस पार्टी ने धान के नाम पर ही जीता था । 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में धान की क़ीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा किया और नवंबर 2018 में जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार बनी तो राज्य सरकार ने 2500 रुपये की दर से धान की खरीदी भी की. राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों की कर्ज माफ़ी और धान की इस बढ़ी हुई कीमत को छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिये एक बड़ी उपलब्धि बताते हैं.।

राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं

कृषि विकास के क्षेत्र में अनेक कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे है। इनमें प्रमाणित बीजों का प्रदाय, कृषि यंत्र एवं रासायनिक उर्वरको का वितरण, पौधा संरक्षण हेतु कीटनाशक दवाओं का प्रदाय, प्राकृतिक विपदाओं से होने बाली हानि की क्षतिपूर्ति के लिए कृषकों के लिए फसल बीमा योजना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी. कर्जा माफी आदि ।

सुझाव

  1. सिंचाई सुविधाओं के अभाव में छत्तीसगढ़ एक फसली क्षेत्र बन कर रह गया है। इसके लिए आवश्यक है कि सिंचाई सुविधा का विस्तार किया जाय।
  2. भूमि सुधार के कार्यक्रम को लागू किया जाय
  3. कृषि का यंत्रिकरण, उन्नत बीज एवं खाद के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाय।
  4. स्वामीनाथन कमेटी के शिफारिसों को लागू कर किसानों की दशा में सुधार किया जाए ।

निष्कर्ष

संक्षेप में कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ न केवल कृषि प्रधान राज्य है बल्कि धान प्रधान राज्य है। यहाँ कि मिट्टी धान के लिए उपयुक्त हैं। यहाँ कि संस्कृति रीति रिवाज परम्परा में धान की खुशबू है। राजनीति भी इससे अछूती नही है। इसीलिए इसे धान का कटोरा कहा जाता हैं।

Hitesh

हितेश कुमार इस साइट के एडिटर है।इस वेबसाईट में आप भारत के कला संस्कृति, मंदिर, जलप्रपात, पर्यटक स्थल, स्मारक, गुफा , जीवनी और अन्य रहस्यमय जगह के बारे में इस पोस्ट के माध्यम से सुंदर और सहज जानकारी प्राप्त करे। जिससे इस जगह का विकास हो पायेगा।

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