जाने पशुपतिनाथ की व्रत कथा l pashupatinath vrat ki katha l pashupatinath vrat
हैलो दोस्तो मेरा नाम है हितेश कुमार इस पोस्ट मे आपको पशुपतिनाथ व्रत की कथा के बारे में जानकारी देने वाले है यह पोस्ट आपको अच्छा लगे तो कॉमेंट और शेयर जरूर करे।
पशुपतिनाथ व्रत भगवान शिव को समर्पित है.यह व्रत सोमवार और प्रदोष व्रत की तरह ही किया जाता है.शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को रखने से व्यक्ति की मनोकामना जल्दी ही पूरी होने के साथ सुखी वैवाहिक जीवन हर तरह के संकटो का नाश होता है.यह व्रत सोमवार के दिन कभी भी शुरू किया जा सकता है.
पशुपतिनाथ की व्रत कथा

एक नगर में एक बहुत धनवान साहूकार रहता था परंतु उसे निसंतान होने का बहुत बड़ा दुख था.वह हमेशा इसी चिंता में रहता था पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार को शिव जी का व्रत और पूजन किया करता था.जिसकी भक्ति भाव को देखकर माता पार्वती ने शिव जी से कहा कि यह साहूकार बहुत बड़ा भक्त है.यह बहुत लगन से आपका पूजन और व्रत करता है.आपको इसकी मनोकामना पूर्ण करनी चाहिए.
शिव जी में माता से कहा हे पार्वती यह संसार कर्म क्षेत्र है.जो इस संसार में जैसा कर्म करते हैं उसे वैसा ही फल मिलता हैं.परंतु माता पार्वती की जिद के सामने शिव जी को झुकना पड़ा.
भगवान शिव ने कहा कि इसके भाग्य में पुत्र न होने पर भी मैं इसको पुत्र की प्राप्ति का वर देता हूं.परंतु यह 12 वर्ष ही जीवित रहेगा.माता पार्वती और शिव की सारी बातें साहूकार सुन रहा था.जिसकी वजह से ना उसे खुशी मिली ना दुख हुआ
हालांकि यह पहले की तरह ही भगवान शिव जी का व्रत और पूजन करता रहा।कुछ समय बाद उसे सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई.साहूकार के घर में खुशी छा रही थी, पर उसे कोई प्रसन्नता नहीं थी.जब लड़का 11साल का हो गया, तो उसने पढ़ने के लिए पुत्र को काशी भेज दिया.
साहूकार ने साथ में बालक के मामा को भी भेजा.साहूकार ने अपने साले से भी कह दिया था कि रास्ते में जिस स्थान पर भी जाओ.यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन करा जाओ.मामा और भांजे यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन कराते जा रहे थे जाते जाते एक राजधानी में पहुंच गए जहां राजा की कन्या का विवाह था.
लेकिन बारात लेकर आने वाली राजा का लड़का काना था.राजकुमार के पिता को चिंता था की वर देखकर कन्या शादी के लिए मना न कर दे. तभी राजकुमार के पिता अति सुंदर साहूकार के लड़के को देखकर सोचा क्यों ना शादी तक?इस लड़के को वर बना दिया जाए. साहूकार की लड़के के साथ विवाह कार्य संपन्न हो गया,
लड़के ने ईमानदारी दिखाते हुए शादी के दौरान राजकुमारी की चुनरी के पल्ले यानी शादी के जो गांठ बांधा जाता है, उस पर लिख दिया कि तेरा विवाह मेरे साथ हुआ है.राजकुमार के साथ तुमको भेजेंगे, वह एक आंख से काना है और मैं काशी पढ़ने जा रहा हूं.चाहिए सच्चाई जानकर लड़की में ने बारात के साथ जाने से मना कर दिया.काशी पहुँचकर साहूकार के लड़के ने पढ़ाई शुरू कर दिया.जब लड़की की आयु 12 साल की हो गई.12वे साल के दिन लड़के ने मामा से कहा की तबीयत सही नहीं लग रही है, फिर अंदर जाकर सो गया, सोने के बाद लड़के के प्राण निकल गए.जब मामा को पता चला तो मामा जोर जोर से रोने लगे, जोग वर्ष उसी
उसी समय शिव और पार्वती उधर से जा रहे थे, रोने की आवाज़ सुनकर माता पार्वती का हदय व्याकुल हो गया.उन्होंने कहा कि बालक को जीवित करिए. वरना इसके माता पिता तड़फ तड़फ कर मर जाएंगे।
माता पार्वती के आग्रह करने पर शिवजी ने उसको जीवन वरदान दिया.यह जिसे से लड़का जीवित हो गया.लड़का और मामा, यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन कराते अपने घर की ओर चल पड़े.वे उसी रास्ते से लौटे जिस राज्य में की साहूकार लड़के और राजकुमारी की शादी हुई थी.राजा ने लड़के को पहचान लिया वह राजकुमारी के साथ उसकी विदाई कर दी.जब लड़का घर पहुंचा तो माता घर की छत पर बैठी थे और यह प्रण कर रखा था कि अगर पुत्र नहीं लौट तो वे अपने प्राण त्याग देंगे.
लड़के को देखकर सेठ में अनंत के साथ उसका स्वागत किया और बड़ी प्रसन्नता के साथ रहने लगी.
जो भी पशुपतिनाथ व्रत को करता है और पशुपतिनाथ व्रत कथा को ध्यान से सुनते है, उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं.
दोस्तो अगर आप को यह जानकारी अच्छा लगा तो कॉमेंट और शेयर जरूर करे।
!! धन्यवाद !!
और पढ़े –