संतोषी माता कौन हैं? जाने उनका नाम,पूजा विधि,व्रत कथा,आरती एवम् इतिहास l santoshi mata ki katha l santoshi mata ki aarti
नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आपको संतोषी माता के बारे में जानकारी देंगे। यह पोस्ट आपको अच्छा लगा है इस पोस्ट को शेयर जरूर करे।
संतोषी माता की कथा,आरती,पूजा विधि

संतोषी माता किसका अवतार है
संतोषी माता हिंदू धर्म में देवी सुखशांति की एक रूप और माँ दुर्गा की एक अवतार है। वह खुशी और समृद्धि की देवी मानी जाती है और उन्हें समर्पित एक विशेष पूजा भी होती है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है। संतोषी माता के पूजन से लोग सुख, समृद्धि, समानता और सम्पन्नता की प्राप्ति की कामना करते हैं।
संतोषी माता का असली नाम क्या है
संतोषी माता का असली नाम देवी सुखशांति है। वह माँ दुर्गा के एक रूप के रूप में जानी जाती है और उनकी पूजा में खुशी और समृद्धि की माँग की जाती है। संतोषी माता के नाम से उनकी पूजा विशेष रूप से भारत में की जाती है, जो सभी धर्मों के लोगों द्वारा सम्मान की जाती है।
संतोषी माता की पूजा विधि
संतोषी माता की पूजा हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पूजा विधि निम्नलिखित रूप से की जा सकती है:
सामग्री
- संतोषी माता का मूर्ति या तस्वीर
- पूजन सामग्री (धूप, दीपक, अगरबत्ती, फूल आदि)
- प्रसाद के लिए चीनी, घी, चना आदि
पूजा विधि
- पूजा के लिए एक साफ-सुथरे स्थान चुनें जहां आप पूजा करना चाहते हैं।
- संतोषी माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
- सभी पूजन सामग्री को तैयार करें।
- धूप और दीपक जलाएं।
- संतोषी माता के सामने एक थाली रखें और उसमें प्रसाद रखें।
- आरती गाएं और मन्त्रों का जाप करें। संतोषी माता के मंत्रों में से सबसे प्रसिद्ध मंत्र हैं “जय संतोषी माता, जय माता दी”।
- आरती के बाद प्रसाद को संतोषी माता को चढ़ाएं।
इस प्रकार संतोषी माता की पूजा कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आप पूजा के दौरान पूर्ण विश्राम करते हुए करें और सामग्री को सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करे।
संतोषी माता की व्रत कथा
संतोषी माता की व्रत कथा हिंदू धर्म की एक प्रसिद्ध कथा है जो मान्यता के अनुसार बड़े फलों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत श्रद्धालुओं द्वारा धार्मिक उत्सवों के दौरान भी किया जाता है।
कथा के अनुसार, एक बार दो दोस्तों ने एक साथ खेत में जाकर खेती की थी। एक दोस्त की खेती काफी अच्छी थी जबकि दूसरे दोस्त की खेती में कोई फल नहीं उगता था। इससे बुरा महसूस करते हुए दूसरे दोस्त ने अपने पड़ोसी से वृत्तान्त सुना तो वह उन्हें संतोषी माता के बारे में बताया।
संतोषी माता जी के व्रत का नियम है कि आपको समस्त जगहों से संतुष्ट रहना होगा। जब तक आप संतुष्ट नहीं होते, तब तक आप व्रत करते रहेंगे। वह दोस्त ने भी दूसरे दोस्त को यह सलाह दी कि वह संतोषी माता के व्रत का पालन करें।
दूसरे दोस्त ने सलाह स्वीकार की और संतोषी माता के व्रत का पालन करना शुरू किया। उसने भगवान सूर्य को प्रणाम करके व्रत का आरंभ किया और वह व्रत में आठवें दिन तक नियमित रूप से ध्यान और पूजा करता रहा। उसने संतोषी माता की आराधना के लिए लड्डू, पूड़ी और दूध के नैवेद्य चढ़ाए। उसने दूसरों की मदद करने में भी नहीं हिचकिचाई और अपनी व्रत की प्रतिज्ञा का पालन किया।
उसकी मेहनत और व्रत के बाद, संतोषी माता ने उसे अनेक फल दिए जैसे कि धन, सुख, समृद्धि और सफलता। इससे उसे अपने जीवन में अधिक संतुष्टि का अनुभव हुआ।
इस तरह संतोषी माता के व्रत से इस प्रकार की बहुत सी कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो श्रद्धालुओं को इसे पालन करने के लिए प्रेरित करती हैं। संतोषी माता की आराधना से हम अपने जीवन में संतोष और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
संतोषी माता का इतिहास
संतोषी माता एक हिंदू देवी हैं जो संतोष, समृद्धि और सुख की देवी के रूप में जानी जाती हैं। वे अखंड ज्योति के रूप में भी जानी जाती हैं और भक्तों को धन, समृद्धि, सफलता और खुशी प्रदान करने में सक्षम हैं।
संतोषी माता का महत्वपूर्ण इतिहास है जो पुरातन है। संतोषी माता की पूजा की जाने वाली सबसे पुरानी उल्लेखित कथा तुलसीदास की ‘विनय पत्रिका’ में है। इस कथा में संतोषी माता को धन और समृद्धि की देवी के रूप में दर्शाया गया है।
संतोषी माता की पूजा को शुरू करने वाले भक्तों में एक श्रद्धालु आर्यन के नाम से जाना जाता है, जो 1975 में इस देवी की पूजा और उनके मंदिर का निर्माण करने के लिए प्रयास करने वाले थे। उन्होंने अपने प्रयासों से संतोषी माता के मंदिरों को अनेक स्थानों पर स्थापित किया, जिससे वह आज भी एक अत्यंत लोकप्रिय देवी हैं।
इस प्रकार, संतोषी माता का इतिहास बहुत पुराना है और उनकी पूजा और उनकी कथाओं का महत्व भारतीय संस्कृति और धर्म में बहुत ऊंचा है। उनकी पूजा भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है और उन्हें देवी संतोषी के नाम से जाना जाता है।
इनकी पूजा का त्योहार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो अक्षय तृतीया भी कहलाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और संतोषी माता की पूजा करते हैं। भक्त इस दिन अन्न, मिठाई, फल आदि चीजें चढ़ाते हैं और अपनी मनोकामनाएं माँगते हैं।
इनकी कथाएं भी बहुत प्रसिद्ध हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा तुलसीदास की ‘विनय पत्रिका’ में दी गई है। इसके अलावा, भगवत पुराण, स्कन्द पुराण, देवी भागवत पुराण, दुर्गा सप्तशती आदि में भी संतोषी माता की कथाएं विस्तार से वर्णित की गई हैं।
इस प्रकार, संतोषी माता का इतिहास, पूजा और कथाएं भारतीय संस्कृति और धर्म में अहम भूमिका निभाती हैं।
संतोषी माता की आरती
संतोषी माता की आरती के लिए निम्नलिखित श्लोकों का पाठ किया जाता है:
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पत्ति दाता॥
चाँद सितारों की, महिमा तुम वर्णन करता।
रत्न सिंहासन जय माता, मैया जय संतोषी माता॥
शुभ गुण मंद सुजान, सुमति गुणगान करता।
कटे न तन की कष्टी, पार उतारन हरता॥
दुःख शोक भय हानि, कुछ नहीं जानते सब सन्त।
संतोषी माता जय माता, मैया जय संतोषी माता॥
सुन्दर मुख है माँ, विशाल यशोदा जैसा धाम।
अमरपुरी दिलाती, जो बोलते जय माँ॥
संतोषी माँ की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनंद मंगल हो, श्रद्धा ज्ञान विश्वास घाता॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पत्ति दाता॥
आरती के बाद आप भक्तिभाव से प्रसाद चढ़ाकर मंदिर से बाहर निकल सकते हैं।
FAQ –
संतोषी माता कौन हैं?
संतोषी माता हिंदू धर्म की एक देवी हैं जो सुख, समृद्धि और संतोष की देवी मानी जाती हैं।
संतोषी माता की पूजा कब की जाती है?
संतोषी माता की पूजा शुक्रवार को ही की जाती है।
संतोषी माता के प्रसिद्ध मंदिर कहाँ-कहाँ हैं?
संतोषी माता के प्रसिद्ध मंदिर भारत भर में हैं, जैसे कि जयपुर, नई दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, वाराणसी, जोधपुर, चंडीगढ़, लखनऊ, उदयपुर आदि।
संतोषी माता की पूजा कैसे की जाती है?
संतोषी माता की पूजा मंदिर में लंगर, चावल, दूध, मिठाई, फल और पूजा सामग्री के साथ की जाती है। पूजा के दौरान ध्यान रखना चाहिए कि आप पवित्रता और शुद्धता में बने रहें।
संतोषी माता के कुछ प्रसिद्ध मंत्र क्या हैं?
संतोषी माता के प्रसिद्ध मंत्रों में से कुछ हैं:
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं संतोषी देव्यै नमः।
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