पता- दंतेवाड़ा से लगभग 22किलोमीटर की दुरी पर पारसपाल नामक गांव से कुछ दूरी पर हैं ढोलकल गणेश।
विश्व की अद्भुत प्रतिमा- ढोलकल की पहाड़ी पर 3 हजार फिट की ऊँचाई पर हैं विश्व की सबसे अद्भुत प्रतिमा गणेश जी की हैं।
नागवंशी राजाओं के काल का – माना जाता हैं की गणेश जी की मूर्ति के पेट में नाग का चित्र बना हैं इससे यह पता चलता हैं की ये गणेश प्रतिमा नागवंशी राजाओं के काल का हैं।
एक दन्त की कहानी- कहते हैं की परशुराम और गणेश जी का युद्ध हुआ था और परशुराम जी के फरसे से गणेश जी का एक दांत टूट कर यही बैलाडीला की पहाड़ी पर गिरा था |
11वीं सदी की मूर्ति- पुरात्त्ववेत्ताओं ने माना हैं की यह ढोलकल की पहाड़ी पर जो गणेश विराजमान हैं वह 11 सदी की मूर्ति हैं।
यह सफर रहता हैं रोमांचक से भरपूर – ढोलकल की पहाड़ी पर चढ़ना रोमांचक जनक सफर का अनुभव करता हैं ढोलकल की पहाड़ी पर चढ़कर गणेश जी के दर्शन मात्र से मन को सुकून लगता हैं।
ढोलकल की गणेश प्रतिमा के बारे में – ढोलकल की पहाड़ी पर विराजमान हैं प्राचीन गणेश जी की प्रतिमा जो अचानक गायब हो गयी थी। तब छत्तीसगढ़ शासन की तरफ से ड्रोन और जवानों के जरियेे मूर्ति की छानबीन शुरू की। तो पाया गया की गणेश जी की प्रतिमा ढोलकल की पहाड़ी से नीचे गिरा था यह मूर्ति टूट चुकी थी। और इस मूर्ति को अक्रियोलॉजी की मदद से वापस जोड़ा गया और वही पर फिर से स्थापित किया गया।9 महीने बाद यह प्रतिमा कैसे गिरी थी यह पता चला की गणेश जी की प्रतिमा को एक नक्सली से नीचे गिराया था।
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