माँ महामाया मंदिर ,रतनपुर(छ. ग.)
पता- बिलासपुर से अम्बिकापुर रोड से 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं रतनपुर का प्राचीन महामाया मंदिर ।
प्रवेश द्वार- रतनपुर के माँ महामाया मंदिर के प्रवेश द्वार में भगवान शिव की प्रतिमा दिखाई पड़ती हैं।
12-13 वी शताब्दी का मंदिर – मूल मंदिर का निर्माण रतनपुर शाखा के कलचुरी राजाओ के राजत्व काल से लगभग 12-13 वी शती ईस्वी में हुआ।
गर्भगृह में विराजमान-रतनपुर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हैं माँ महामाया देवी का स्वरूप महिसासुर मर्दनी के रूप में दिखाई देती हैं।
51 शक्ति पीठ मे से एक – रतनपुर के प्रसिद्ध माँ महामाया मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक हैं ।यहाँ सती का कंधा गिरा था।
तालाबो का शहर- रतनपुर नगरी को तालाबो का भी शहर कहा जाता हैं।
मंदिर का निर्माण – माँ महामाया मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव (कल्चुरी शासक) ने सन् 1049 ई. में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
पशुपति नाथ मंदिर- माँ महामाया देवी मंदिर के उदगम स्थान पशुपति नाथ मंदिर के अंदर पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना की गयी थी।
प्राचीन मंदिर- रतनपुर में अनेक सुंदर पुराने मंदिर जलाशय और प्राचीन किलो के अवशेष आज भी मौजूद हैं।
रतनपुर का महाभारत काल में नाम- महाभारत काल में रतनपुर का नाम रत्नावलीपुर मिलता हैं। महाभारत में उल्लिखित ताम्रध्वज-मोरध्वज वाली घटना यही हुई थी।
कुलदेवी –माँ महामाया देवी कलचुरी राजाओ की कुल देव थी।
ज्योति कलश- माँ महामाया मंदिर में चैत्र व क्वार पर्व पर भारी संख्या में ज्योति कलश जलाया जाता हैं।
नवरात्रि पर्व पर- रतनपुर के प्रसिद्ध माँ महामाया देवी के दर्शन के लिए श्रद्धालु की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है यहाँ दोनों नवरात्रि पर मेले का भी आयोजन होता हैं।
धार्मिक पर्यटन स्थल – रतनपुर के स्मारक स्थल धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में जाने जाते हैं।
Youtube channel – hitesh kumar hk
!! धन्यवाद !!
Jai mata di.
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