Fri. Dec 8th, 2023
                    श्री श्री 1008 मां दंतेश्वरी माई जी
 52 वां सक्ती पीठ माना जाता है  मां दंतेश्वरी का मंदिर , दंतेवाड़ा (बस्तर) छ.ग

 स्थित- छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा  जिला के मुख्यालय में स्थित है ।  मां दंतेश्वरी का मंदिर।

 52 वां सक्ती पीठ माना जाता है  मां दंतेश्वरी का मंदिर , दंतेवाड़ा (बस्तर) छ.ग

सक्तीपीठ – मां दंतेश्वरी का मंदिर 52 वां सक्ती पीठ माना जाता है ।
                   52 वां सक्ती पीठ माना जाता है  मां दंतेश्वरी का मंदिर , दंतेवाड़ा (बस्तर) छ.ग
बलिप्रथा-   1883 तक यहां नर बलि होती रही।

स्थापना- पहली बार वारंगल से आए पांडव अर्जुन कुल के राजाओं ने कराया था।

कुल देवी – मां दंतेश्वरी  को  बस्तर कि आराध्य
देवी कहा जाता है।

 मान्यता- है कि यहां सती का दांत गिरा था।इस लिए माता का नाम दंतेश्वरी पड़ा है।

नदी- मां दंतेश्वरी का मंदिर डंकिनी एवम् शंकिनी नदियों के संगम में स्थित है।

 52 वां सक्ती पीठ माना जाता है  मां दंतेश्वरी का मंदिर , दंतेवाड़ा (बस्तर) छ.ग

इस मंदिर कि खासियत है- कि  मंदिर में दर्शन के लिए आपको लुंगी या धोती पहन कर ही अंदर प्रवेश करना होगा।

माई के चरण चिन्ह –दंतेश्वरी मंदिर के पास ही शंखिनी और डंकिन नदी के संगम पर माँ दंतेश्वरी के चरणों के चिन्ह मौजूद है ।और यहां सच्चे मन से की गई मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण
होती है।

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विशालकाय प्रतिमा- दंतेवाड़ा में हनुमान जी का विशालकाय प्रतिमा है।

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भैरव बाबा –मां दंतेश्वरी देवी के मंदिर से 300मी. की दूरी में भैरव बाबा का मंदिर है।भैरव बाबा के चरण चिन्ह भी यहां मौजूद  है।

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मंदिर की निर्माण की कथा – ऎसा माना जाता है कि बस्तर के पहले काकतिया राजा अन्नम देव वारंगल से यहां। आए थे। अन्नम देव को माता से वरदान मिला था कि जहां तक वे जायेगे उनका राज वहां तक हो जायेगा।माँ दंतेश्वरी माता ने राजा को वचन दिया था कि
अन्नम देव ने चलना शुरू किया कई दिन और रात चलते रहें।वे चलते-चलते शंखिनी यहां उन्‍होंने नदी पार करने के बाद माता के पीछे आते समय उनकी पायल की आवाज़ महसूस नहीं की। सो वे वहीं रूक गए और माता के रूक जाने की आशंका से उन्‍होंने पीछे पलटकर देखा। माता तब नदी पार कर रही थी। राजा के रूकते ही मैय्या भी रूक गई और उन्‍होंने आगे जाने से इनकार कर दिया डंकिनी शंखिनी के संगम में माता यही स्थित हो गई।

अद्भुत है मंदिर –
दंतेवाड़ा में माँ दंतेश्वरी की षट्भुजी वाले काले ग्रेनाइट की मूर्ति अद्वितीय है।

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माँ भुनेश्वरी देवी – माँ दंतेश्वरी  कि छोटी बहन माँ भुनेश्वरी देवी है। माँ भुनेश्वरी को मावली माता, माणिकेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है।

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फाल्गुन मास में मंडई –
फाल्गुन मड़ई में दंतेश्वरी मंदिर में बस्तर अंचल के लाखों लोगों की  भीड़ देखने को मिलती है।
होली से दस दिन पूर्व यहां फाल्गुन मड़ई का आयोजन होता है।

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