भगवान शिव की पांच बेटियों की नाम एवं कथा । Bholenath ke 5 betiyo ke naam

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भगवान शिव की पांच बेटियों की कथा

भगवान शिव की पांच बेटियों की नाम एवं कथा । Bholenath ke 5 betiyo ke naam

वेदों और पुराणों में हिन्दू धर्म के देवता-देवीयों के अलावा, उनके परिवार और उनके लीलाओं की अनगिनत कथाएं छिपी होती हैं। विशेष रूप से भगवान शिव के परिवार में उनकी पत्नी माता पार्वती के साथ उनके बच्चों की कथाएं अद्वितीय रूप से मनोहार होती हैं। आमतौर पर हम भगवान शिव के पुत्र गणेश और कार्तिकेय के बारे में ही सुनते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव की पांच नाग कन्याएं भी थीं और उनकी अपनी विशेष महत्वपूर्ण कथाएं हैं?

कथा में नाग कन्याओं के नाम और काम

जया: पहली नाग कन्या जया की कथा में उनकी मां के प्रति अनन्य भक्ति और सेवा की गरिमा है। वे माता पार्वती की सेवा करती थीं और उनकी आदर्शता का प्रतीक बन गई थीं।

विषहर: दूसरी नाग कन्या विषहर के नाम से उपजे जाने वाले सुंदर भविष्य का चिन्हन होते हैं। उनका काम था जीवों को विष से मुक्त करना और उनकी रक्षा करना।

शामिलबारी: तीसरी नाग कन्या शामिलबारी के नाम से समृद्धि और एकता की भावना का प्रतीक होते हैं। उनका काम था लोगों को एकत्र करना और समृद्धि की ओर प्रोत्साहित करना।

देव: चौथी नाग कन्या देव का नाम स्वयं में ही उनकी महिमा छिपाता है। वे जीवों की रक्षिका बनी और उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध थीं।

दोतलि: पांचवीं और आखिरी नाग कन्या दोतलि के नाम से उनके उत्तम सामर्थ्य का प्रतीक होते हैं। उनका काम था संसार के सभी शक्तिशाली तत्वों को बलवान बनाना और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करना।

भगवान शिव के परिवार में नाग कन्याओं की कथाएं हमें यह सिखाती हैं कि देवता के अलावा उनके भक्तों के भी महत्वपूर्ण कार्य होते हैं, जो समाज की उन्नति और समृद्धि की दिशा में सहयोग करते हैं। नाग कन्याओं की पूजा और मान्यता इस बात का प्रतीक है कि महिलाएं शक्तिशाली और महत्वपूर्ण होती हैं और उनका योगदान समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

नाग कन्याओं की पूजा और महत्व

नाग पंचमी और नाग षष्ठी जैसे विशेष दिनों पर भगवान शिव की पांच नाग कन्याओं की पूजा और आराधना की जाती है। इन दिनों भक्त उनकी मूर्तियों की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और मन्त्रों का जाप करते हैं। इसके जरिए वे नाग कन्याओं के संग भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति करते हैं।

निष्कर्ष

भगवान शिव की पांच नाग कन्याओं की कथा हमें उनके परिवार की अनूठी कहानियों का परिचय देती है। यह कथाएं हमें यह शिक्षा देती हैं कि सभी धार्मिक तत्वों के साथ-साथ महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान भी समाज में महत्वपूर्ण होता है और उनके उत्तम स्वरूप की पहचान कराती है। नाग कन्याओं की पूजा और आराधना भक्तों को शक्तिशाली बनाने में मदद करती है और उन्हें समृद्धि और सुख की प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने का संदेश देती है।

FAQ :-

नाग कन्याएं कौन हैं?

नाग कन्याएं भगवान शिव और माता पार्वती की पांच पुत्रियां हैं, जिनके नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि हैं।

नाग कन्याओं की कथाएं क्या हैं?

नाग कन्याओं की कथाएं भगवान शिव के परिवार और उनकी पांच पुत्रियों की विशेष कथाएं हैं, जिनमें उनके नाम, काम और महत्व शामिल हैं।

नाग कन्याओं के नाम और काम क्या हैं?

नाग कन्याओं के नाम हैं जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। उनके अलग-अलग काम होते हैं, जैसे समृद्धि की प्रोत्साहना, विष से रक्षा, एकता की भावना, जीवों की सुरक्षा और शक्तिशाली बनाना।

नाग कन्याओं की पूजा कब और कैसे की जाती है?

नाग पंचमी और नाग षष्ठी जैसे विशेष दिनों पर भगवान शिव की पांच नाग कन्याओं की पूजा की जाती है। भक्त उनकी मूर्तियों की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और मन्त्रों का जाप करते हैं।

नाग कन्याओं के महत्व क्या है?

नाग कन्याओं की कथाएं हमें महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान को समझाती हैं और उनके साथ-साथ समृद्धि और सुख की प्राप्ति के मार्ग का संदेश देती है।

नाग कन्याओं की कथाएं कहाँ और कैसे मिलती हैं?

नाग कन्याओं की कथाएं पुराणों, वेदों और हिन्दू धर्म के ग्रंथों में मिलती हैं, जिनमें भगवान शिव और माता पार्वती की परिवारिक कथाएं विस्तारपूर्ण रूप से वर्णित हैं।

नाग कन्याओं की पूजा का क्या महत्व है?

नाग कन्याओं की पूजा से भक्तों को शक्तिशाली बनाने में मदद मिलती है और उन्हें समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है।

नाग कन्याओं की पूजा कैसे की जाए?

नाग कन्याओं की पूजा में उनकी मूर्तियों की पूजा, व्रत रखना और मन्त्रों का जाप किया जाता है। भक्त इन दिनों में उनके श्रद्धाभाव और भक्ति के साथ उनकी पूजा करते हैं।

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