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                      स्वयं भू नव देवी, दुर्ग

स्वयं भू नव देवी, शक्ति नगर,दुर्ग छत्तीसगढ़

पता- यह छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में विराजमान हैं स्वयं भू नव देवी।

दूरी – दुर्ग जिले के शक्ति नगर में एक छोटा सा काली मंदिर है जहां पर विराजमान हैं स्वयं भू नव देवी।

स्वयं भू नव देवी, शक्ति नगर,दुर्ग छत्तीसगढ़

मुख्य देवी – यहां पर मुख्य जो देवी है वो माता काली है जो जमीन से निकली हुई है माता रानी का काफी सुंदर प्रतिमा है जो निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।

नवदेवी – यहां पर जो सबसे पहली देवी है वो है माता काली है, दूसरे नम्बर पर महामाया देवी है, तीसरे नम्बर पर शीतला देवी है,चौथे नम्बर पर विंध्यवासिनी  देवी, पांचवा नम्बर पर मां शक्ति है,छटवा नम्बर पर हिंगलाज माई है, सातवा नम्बर पर मां शारदा हैआठवां नम्बर पर मां चंडी है, नव नम्बर पर मां दंतेश्वरी है।

स्वयं भू नव देवी, शक्ति नगर,दुर्ग छत्तीसगढ़

स्वपन के आधार पर लाई गई है ये देवी – कहा जाता है कि घर के सदस्य प्रशांत देवांगन (रवि) के ऊपर मां काली बचपन से विराजमान होती आ रही है। माता अपनी आगमन की अवधि पर प्रशांत देवांगन को स्वपन देती और वे फिर माता के अनेक स्वरूप को अलग अलग जगहों से गाजे बाजे के साथ ले आकर मंदिर में विराजमान करते हैं।

कहानी –प्रशांत देवांगन का कहना है कि माता काली है वे बचपन से इनके उपर विराजमान होती आई है,माता काली अपने अनेक स्वरूप के आगमन की सूचना देती और प्रशांत देवांगन उन्हे लाने के लिए गाजे बाजे के साथ पहुंच जाते थे जब वहां पहुंचे तो इन्हे छोटे छोटे पत्थर मिलते जिन्हें देखकर ये बोलना कठिन था की ये देवी का स्वरूप है ये लोगो के लिए काफी मुश्किल होता था लेकिन प्रशांत देवांगन इन्हे लेकर आते और पूरे विधिविधान से इनका स्थापना अपने घर में करते।और वर्तमान में इन देवियों का आकार है ओ बड़ता ही जा रहा है।

प्रशांत देवांगन बताते है कि जब वे माता शीतला को लाने गए थेतो इन्होंने देखा की दो इटो के बीच एक पत्थर लगातार हिल रहा है बाकी लोग नहीं समझ पाए लेकिन प्रशांत देवांगन को पता था कि ये माता शीतला है।। 

इस तरह के अद्भुत घटनाओं को देखने का सौभाग्य प्रशांत देवांगन को प्राप्त है।

ज्योती कलश – चैत्र कुंवार और गुप्त नवरात्री मे ज्योती कलश प्रज्जवलित किया जाता है।

शीतला जुडवास पर्व पर – सबसे पहले देवी को स्नान कराने के लिए स्त्री तलाब से 7 कलशों में जल भरकर लाती है और उसी पानी से जो मुख्य देवी मां काली है उसी पानी से स्नान कराया जाता है। सबसे पहले देवी को सफेद रंग का वस्त्र धारण कराया जाता है।  

फिर मां काली को दूध, दही, हल्दी, गुलाल,कुमकुम, बेल की पत्ती नीम की पत्ती ,चंदन और बंदन से मां काली को स्नान कराया जाता है उसके बाद दैविक मंत्रो के साथ पूजा पाठ किया जाता है। उनके बाद मां काली अच्छी तरह से साफ करने के बाद मां काली को नये वस्त्रों के साथ माता जी का शृंगार किया जाता है।

गुरुवार के दिन – प्रत्येक सप्ताह के हर गुरुवार के दिन मां काली  प्रशांत देवांगन (रवि )के शरीर में विराजमान होती है।

जंवारा – नवरात्री पर्व में घर के अंदर जिस जगह में माता जी का शृंगार का सामन रखा हुआ है उसी जगह में ज्योत जवारा प्रचवल्लित किया जाता है ।

नवरात्री के अष्टमी के दिन –अष्टमी के दिन प्रशांत देवांगन (रवि ) मां काली का वस्त्र धारण करता है कुछ समय के बाद मां काली रवि के शरीर में विराजमान होती हैं  उसी समय अपनी समस्या को माता के सामने रखने पर मां काली उस समस्या का समाधान करती है।

कांटे के झूले – नवरात्री के अष्टमी के दिन मां काली प्रशांत देवांगन (रवि ) के शरीर में विराजमान होती हैं और उसी लोहे के कांटे के झूले में झूलती है मां काली।

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