गणेश जी को पार्वती जी का प्रिय पुत्र कहा जाता है, गणेश जी को गजानन के नाम से भी जाना जाता है, इसीलिए सभी भक्तजन इनके दुःख हरता के नाम से आरती करते हैं। यह मान्यता है कि गणेश जी की आरती गाने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को सर्वोपरि माना जाता है। किसी भी पूजा में सबसे पहले भगवान श्री गणेश का ध्यान और आराधना जरूर की जाती है, क्योंकि भगवान गणपति की प्राथमिकता की गरिमा प्राप्त है। इसलिए इन्हें हर शुभ कार्य में पूजन के साथ याद किया जाता है।
मंगलकर्ता, विघ्नहर्ता, भगवान श्री गणेश की आरती निमंत्रण है, और इसका गान करने से भगवान गणपति सभी शुभ कार्यों की पूर्ति करते हैं।
विघ्न-हरण मंगल-करण, काटत सकल कलेस।
सबसे पहले सुमिरिये, गौरीपुत्र गणेश॥
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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