पशुपति व्रत इन 5 नियमों के बिना अधूरा ही रहता है l pashupatinath vrat ke 5 niyam

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पशुपति व्रत इन 5 नियमों के बिना अधूरा ही रहता है l pashupatinath vrat ke 5 niyam

यदि मन की इच्छा नहीं हो रही है पूरी, तो आप पशुपतिनाथ व्रत की महिमा को देखिये सुनिए हर मनोकामना पूरी होगी ।यह व्रत आपके रुके हुए काम पूर्ण करेगा |ये भगवान शंकर जी का व्रत है यह व्रत शिव महापुराण में वर्णित है जैसा की आप जानते होंगे पशुपतिनाथ शिवलिंग में से एक माने जाते है |

पशुपति व्रत भगवान् शिव को समर्पित है । यह व्रत भी सोमवार और प्रदोष व्रत की तरह ही किया जाता है शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को रखने से व्यक्ति की मनोकामना जल्दी ही पूरी होने के साथ सुखी वैवाहिक जीवन और हर तरह के संकटो का नाश होता है । यह व्रत सोमवार के दिन कभी भी शुरू किया जा सकता है।

पशुपतिनाथ व्रत की महिमा का आभास करने के लिए आप एक बार सच्चे मन से व्रत पूरन करें । भोलेनाथ आपकी हर इक्छा पूरी करेंगे | जय भोलेनाथ |

पशुपति व्रत के पांच जरूरी नियम

  1. व्रत से 1 दिन पहले शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन जरूर करें।
  2. व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठे, स्नान करने के बाद 5 सोमवार व्रत करने का संकल्प जरूर लें, अपनी मनोकामना बोले ।
  3. सुबह और शाम की पूजा एक निश्चित समय पर ही करें, राहुकाल का ध्यान भी जरूर रखें।
  4. अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ है तो इस व्रत को बिना नमक मिर्च के केवल फलाहारी ही करें, अगर कोई शारीरिक दुर्बलता है, तो शाम की पूजा के बाद शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करके भी इस व्रत को कर सकते है।
  5. गलती से भी 5 व्रत का क्रम बीच में टूटना नहीं चाहिए किसी मजबूरी में अगर व्रत की पूजा ना कर पाए तो मानसिक रूप से व्रत जरूर रखें । व्रत वाले दिन आलस्य, क्रोध, दूसरों की निंदा बुराई न करें ।

FAQ-

क्या यह व्रत केवल व्यक्तिगत उपासना ही है?

नहीं, पशुपति व्रत का मात्र उपासना नहीं है, बल्कि यह ध्यान, श्रद्धा, धर्मपरायणता, और दान के माध्यम से आत्मा के उन्नति की दिशा में एक पूर्णत: जीवनशैली का प्रतीक है।

क्या व्रत के दिन ध्यान और मनन का समय देना चाहिए?

हां, पशुपति व्रत के दिन आपको भगवान शिव के ध्यान और मनन का समय देना चाहिए। आपको उनके चरणों में लगना चाहिए और उनकी भक्ति और समर्पण की भावना से समय बिताना चाहिए।

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पशुपतिनाथ व्रत, एक प्रमुख हिन्दू व्रत है जो भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इस व्रत के अनुसार, सोमवार को इस व्रत का पालन करने से