पशुपति व्रत सुबह की पूजा की थाली में क्या रखें 95% लोग नहीं जानते थाली किस प्रकार तैयार करें
- गौमाता के घी का या तिल के तेल का मिट्टी का दीपक खड़ी बाती लगाकर लगाएं।
- एक थाली + एक लोटा जल + गंगाजल या पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- जनेऊ, कपूर, धूप, अक्षत (बिना टूटा चावल) चंदन, कलावा, एक माचिस आदि ।
- भोग के लिए खीर, चूरमा या फिर गुड पता या मिश्री का भोग भी लगा सकते हैं।
- शिवप्रिय वस्तुएं बेलपत्र, शमीपत्र, आंकड़े,, धतूरे, दुर्वा की फल फूल पत्तियां कुछ भी इनमें स एक चीज तो जरूर लें।
- मां पार्वती और गणेश जी के लिए सिंदूर ।
- मौसम के अनुसार फल और फूल
पशुपति व्रत की महिमा पशुपति व्रत का महत्व और आचरण
पशुपति व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू उपवास है, जिसे विशेष भगवान शिव की उपासना में किया जाता है। इस व्रत को पांच सोमवार तक लगातार किया जाता है, और इसका उद्यापन पांचवे सोमवार को किया जाता है। व्रत की महत्वपूर्ण चरणों के बारे में निम्नलिखित जानकारी है:
- पूर्व-आवश्यकताएं: व्रत आरंभ से एक दिन पहले ही आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- पूजा और आराधना: व्रत के दिन पूजा की थाली तैयार करें, जिसमें धूप-दीप, शमी पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, मंदार पुष्प, पंचामृत आदि शामिल हो। फिर इस थाली के साथ शिवजी के मंदिर जाएं।
- आचरण की विधि: पहले सोमवार को जिस मंदिर में व्रत की शुरुआत की थी, उसी मंदिर में आपको अपने उपवास के बाकी चार सोमवार जाना होगा। इसके बाद आपको पांचवे सोमवार को उद्यापन करना है।
- क्रमबद्धता: पांच सोमवार तक व्रती को यही क्रम लगातार अनुसरण करना होगा।
मासिक धर्म में पशुपति व्रत का आचरण
कई महिलाएं पूछती हैं कि यदि पशुपति व्रत शुरू हो गया हो और किसी सोमवार के दिन उन्हें मासिक धर्म आ जाए, तो उस स्थिति में व्रत मान्य होगा या खंडित हो जाएगा। पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार इस परिस्थिति में निम्नलिखित नियमों का पालन कर सकते हैं:
- फलाहार और सात्विक भोजन: अगर मासिक धर्म व्रत के दौरान आ जाता है, तो आपको उस दिन पूरे दिन फलाहार करना चाहिए और रात्रि में सात्विक भोजन करना चाहिए।
- पूजन का अवरोध: इस दिन आपको शिवजी की पूजन नहीं करनी चाहिए।
- व्रत की गिनती: यह दिन पशुपति व्रत की पांच सोमवार की गिनती में नहीं आएगा। इसको अगले सोमवार के व्रत के लिए टाल देना चाहिए।
पशुपति व्रत कैसे करे
भगवान शिवजी के एक अनूठे रूप के रूप में, पशुपति जी के नाम से उन्हें पुकारा जाता है। इस व्रत के माध्यम से हम उनकी कृपा पाने और उनके आशीर्वाद से जीवन को संजीवनी शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
पशुपति व्रत का आचरण
- संकल्प: व्रत की शुरुआत में आपको एक संकल्प लेना होता है, जिसमें आप अपने मन में व्रत का उद्देश्य और महत्व स्थापित करते हैं।
- व्रत के दिन की तैयारी: व्रत के दिन, स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखें।
- पूजा की थाली: पूजा की थाली में धूप, दीप, चंदन, बेलपत्र, फूल, पानी, फल, मिश्रित पांचामृत (दूध, दही, घी, मधु, शर्करा) आदि लगाएं।
- व्रत पूजा: पूजा का आयोजन करते समय शिवलिंग के समक्ष बैठें और उन्हें पशुपतिनाथ के रूप में मानकर पूजा करें।
- पूजा और आराधना: मन और भावना से भगवान पशुपतिनाथ की पूजा करें, उनकी महिमा और कृपा का गान करें।
- प्रसाद और भोजन: पूजा के बाद प्रसाद को पूजा की थाली पर रखें और फिर उसे सात्विक भोजन के साथ प्रसाद के रूप में सेवन करें।
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