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 दो भाइयों की कहानी 

Kaakaa muttai the cow,s Eqq movie story 

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बिल्कुल दिल छू लेने वाले एक खूबसूरत दो भाइयों की कहानी.इस कहानी को सुनकर आप भी कहेंगे. वाह, इतनी प्यारी, इतनी सुंदर कहानी. चारों तरफ इतनी नफरत फैली है, हिंसा है.उसके beach यह कहानी आपको हंसाएगी.वह कहते हैं ना बिल्कुल सुकून मिलना तो चलिए आपको भी इन दो भाइयों की नगरी में ले चलू।

दो हज़ार उन्नीस की तमिल भाषा की मुवी the crows egg. ओरिजनल नेम  कका मुत्तई।Director M मणिकंदन. IMDb raiting 8.3.

कहानी शुरू होती है चेन्नई की झुग्गी झोपड़ी में दो भाई, पेरियार और जिन्ना अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं. सुबह खाने में एक सब्ज़ी और चावल परोसते हुए दादी ने देखा कि परियार ने अपनी थाली से एक मुट्ठी चावल जेब में भर ली. इस बात से बेखबर उनकी मां अपनी सास से बोल रही हैं.बच्चों के पिता को jail से छुड़ाने के लिए वकील तीस हज़ार मांग रहा है मगर थैले में सिर्फ सौ रुपए पड़े हैं. किसी तरह तो lift मांग कर आज उनसे मिलने चली जाऊंगी. 

मगर सांस अपने बेटे से नाराज़ है. उसने साथ जाने से मना कर दिया. इधर पेरियार भी जिन्ना के साथ मैदान निकल गया,लेकिन बाकी बच्चों की तरह उनका ध्यान खेलने में नहीं, बल्कि किसी और चीज़ में है.

इसके बाद पेरियार ने अपनी जेब से वही चावल निकाले और एक ऊँची जगह पर रख दी, फिर पेड़ पर चढ़कर इंतज़ार करने लगे उस पेड़ पर कौवे का घोसले है जिसमें तीन अंडे हैं  जैसे ही कौआ का जोड़ा, चावल खाने उतरा इंतज़ार कर रहा पेरियार ने तीन अंडे में से दो उठा लिए और एक वही कौवे के लिए भी छोड़ दिया कितनी अच्छी सीख यहाँ हमें सीखने को मिलती है कि कम में संतुष्ट हो जाना।।अंडों को खाकर दोनों भाइयों की खुशी चेहरे से झलक रही है।जैसे इससे लजीज चीज़ उन्होंने कभी खाई ही नहीं।

इतने में उनकी मां पड़ोसी के रिक्शे में सवार दोनों को लेने पहुंची वह सभी बाबा से मिलने jail जा रहे हैं.मगर बच्चों को बाहर ही रुकना पड़ा पिता ने घर का हाल चाल पुछा,मां ने झूठ कह दिया, सांस तो आना चाहती थी, मै ही नहीं ले आई बूढ़ी है, परेशान हो जाएगी.

फिर उसे जब बाहर खिड़की से बच्चों की आवाज़ आई वह चिल्लाकर उनका हाल चाल पूछने लगा,और पेरियार चिन्ना इधर बाहर से ही आवाज़ देकर उनका जवाब दे रहे हैं.उसे यह जानकर दुख हुआ कि jail हो जाने से घर का खर्चा नहीं चल पा रहा इसीलिए बच्चों के school छुड़वा दिया गया अब दोनों बच्चे रेल की बिछी पटरियों पर से गिरि कोयले जमा करके बेचते हैं.

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उसी से घर का खर्चा चलता है पिरियाल अपने छोटे भाई को एक किनारे खड़ा कर मालगाड़ी से गिरे कोयले जमा कर बोरे में भरता है.जब उठाने लायक कोयले जमा हो जाता है तो दोनों उसे बेचने बाज़ार की तरफ चल देते है।एक किलो का तीन रूपया मिलता है.पास बैठा चौकीदार भी उन्हें रोज़ यहां आते जाते देखता है।

दो भाइयों रास्ते में वह एक उन्हीं की उमर के लड़के से मिला करते हैं.जिसका नाम शिबू  उसके पास ऐसे महंगे खिलौने हैं जो उन्होंने कभी नहीं देखे. शिबू और पिरियार दोनों की ही दुनिया इतनी अलग है, कि दोनों को ही एक दूसरे को लेकर एक कोतूहल जिज्ञासा है.

दो भाइयों अब दोनों भाई रास्ते में एक दुकान के बाहर लगे TV को खड़े होकर देखने लगे और घर जाकर मां से TV ला देने को कहते हैं.मां ने हसकर टाल दिया उनकी मां भी एक बर्तन कटाई की दुकान में काम करती है.उसे परेशान देखकर उसकी सहेली बोली, तीस हज़ार कोई छोटे रकम नहीं है.कहाँ से जुटाईगी,जा, जाकर इस इलाके के मंत्री से बात कर.शायद कुछ हो, बात सुनकर वह वहाँ गई थी, लेकिन मिल ना सकी।

अब यहां जिस मैदान में बच्चे खेला करते थे जहां कौवे का घोंसला वाला पेड़ भी है वह ज़मीन किसी बड़े आदमी ने mall बनाने के लिए खरीद ली है. अब पेरियार और जिन्ना कभी कौवे के अंडे नहीं खा पाएंगे.यह सोचते हुए मायूस होकर दोनों घर की ओर चल दिए.

दादी और माँ को जब यह बात पता चली, दादी बोली कोई बात नहीं. मंदिर के पास जो पेड़ है, वहां भी तो कौवे अंडे देती है, मगर माँ दादी को बच्चों की तरफदारी करने पर नाराज़ होती है।

अब कुछ दिनों में इलेक्शन नज़दीक आने से सरकार घर घर पर TV मुहैया करवाती है. जिससे बच्चे तो बहुत खुश हो जाते हैं.लेकिन cable connection गैर कानूनी होने की वजह से वह कभी साफ़ TV नहीं देख पाते. फिर भी खुश है।

ऐसे महीनों गुज़र गए और एक दिन उसी कौवे के पेड़ वाले मैदान में एक pizza की दुकान खुली.सारे बच्चे उस दिन वहां इतनी खुश है जैसे उन्हीं की दुकान हो.मगर किसी को पेरियार और जिन्ना के क्या परवाह वो तो रास्ते में नंगे दौड़ने वाले बच्चे हैं।

 पेरियार और जिन्ना ने वहाँ के लोगों को गोल गोल मोटी मोटी लजीज रोटियां खाते देखी घर आकर भी TV में उसी का विज्ञापन दिखा रहा है चिन्ना के मुंह में तो पानी आ गया।वह मां से बोला, मां मुझे भी pizza खाना है. मां ने डांट कर चुप कराते हुए कहा,बाप jail में है और इन्हें pizza खाना है।

दो भाइयों गुस्से में घर से निकल गए.वह मोड़ पर गए थे कि एक pizza वाला वहां खड़ा दिखा.उसे main road तक जाने का रास्ता नहीं मालूम. फिर पेरियार बोला, एक बार pizza खोलकर दिखाओगे तो तुम्हें निकलने का आसान रास्ता बता दूँगा.

कुछ सोचकर delivery boy ने pizza का डब्बा उनके सामने खोला और उसे देखकर उनकी आंखें खुली की खुली रह गई.और pizza से आती लाजवाब खुशबू ने उनका मन अंदर तक ललचा दिया.जिसे वो देख तो रहे हैं पर खा नहीं सकती.

फिर delivery boy ने तुरंत डब्बे का ढक्कन बंद किया और बताए हुए रास्ते पर bike मोड़ दी.Pizza खाने की कोई तरकीब निकालने के लिए वह pizza के विज्ञापन वाले काग़ज़ लेकर पहले उस रेल के पटरी वाले चौकीदार के पास गए. उसने कहा  यह तो तीन सौ रूपए का है.

इतना तो तुम दोनों मिलकर एक महीने में कमाते होगे,निराश होकर वह एक दोस्त के यहां गए उसने कहा  यहाँ पर जो number लिखा है उस पर phone लगाने पर वह तुम्हारे घर पर pizza देने आ जाएगा. अब पेरियार ने phone बूथ से pizza की दुकान पर phone घुमाया यह सोचकर कि कल जो delivery वाले भैया मिले थे उनसे कहेंगे कि हम धीरे धीरे एक महीने में pizza के पैसे चुका देंगे मगर उस तरफ से घर का पता house number वगैरह पूछने लगे.उन्हें तो सिर्फ यह मालूम है कि वह मंदिर के पास रहते हैं. पेरियाल ने घबराकर phone रख दिया.

अब घर आकर वह दादी से पता पूछने लगे क्योंकि अगर मां सुनने की तो बहुत डांटेगी. दादी को जब पूरी बात पता चली तो उन्होंने अपनी थैले से बीस तीस रुपए निकाल कर उन्हें दिए और कुछ समान लाने को कहा,आज दादी उनके लिए pizza बनाएगी, जिन्ना भाग कर दुकान से टमाटर, प्याज़ शिमला मिर्च ले आया.दादी चूल्हे के सामने pizza की तस्वीर देखकर pizza बना रही है.और दोनों बच्चे बड़ी बेसब्री से pizza की पकने का इंतज़ार कर रहे है। जब उन्होंने मुंह में एक निवाला लिया तो वो समझ गए कि ये तो pizza नहीं है।pizza ऐसा थोड़ी होता है दादी कहकर दोनो पैर पटकते हुए घर से निकल गए।

अब बच्चे जब दुबारा उस चौकीदार के पास पहुंचे, वह समझ गया कि यह बच्चे ऐसे नहीं मानेंगे वो उन्हें गोदाम में रखे पुराने कोयले के ढेर पर ले गया और कहा ये बेचकर तुम जल्दी पैसे जमा लोगे बच्चों के चेहरे पर मुस्कान आ गए अब वह दिन में चार पांच चक्कर कोयले की दुकान पर कोयला लेकर जाने लगे और आते जाते उस दुकान को निहारते रहते है।

जैसे तैसे पैसे इकट्ठे हो गए और अब pizza की दुकान के सामने खड़े है मगर security guard ने उन्हें डांट कर भगा दिया दोनों मन छोटा करके वापस चले आए.उन्हें समझ नहीं आया आखिर उन्हें अंदर क्यों नहीं जाने दिया?उनके पास तो पैसे भी थे चौकीदार बोला, क्योंकि तुमने मैले कपड़े पहने हैं पांव में जूते नहीं हैं।

रात में सोते हुए दोनों भाई मां और दादी को कहते सुन रहे हैं.कि बाबा के वकील ने आज तक इतने पैसे लिए मगर उनके लौटने के कोई आसार नहीं,पता नहीं कब तक पैसे देते रहना होगा।

अब एक दिन शिबू उनके लिए pizza का एक टुकड़ा टिफिन में लाया है, लेकिन पेरियार ने ना खुद खाया, ना ही जिन्ना को खाने दिया. वह बोला मैं खुद अच्छे कपड़े खरीदूंगा और फिर उसे पहनकर pizza खाने जाऊंगा और उसके पैसे जुटाने में लग गया।

एक दिन कोयला खरीदने वाला आदमी शराब पीकर सड़क पर पड़ा मिला.पेरियार और चिन्ना अपने खिलौने वाली गाड़ी में उसे बिठाकर खींचते हुए घर ले गए. उसके बीवी ने खुश होकर उसे दस रूपए दिए इससे वह बहुत खुश हो गए।

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उन्हें लगा कि इस तरह से भी पैसे कमाए जा सकते हैं.अब कोयला बेचने के बाद शाम को वो शराब के ठेके में खड़े हैं.कि कहीं किसी को घर छोड़ने की नौबत आए तो उसके बदले में पैसे मिलेंगे मगर पहला ग्राहक जैसे ही खिलौने वाली गाड़ी में बैठा वो टूट गया दोनों भाई सर पर पैर रख कर भागे।वो खूब इधर उधर से जल्दी पैसे कमाने के तरकीब लगाने लगे.

एक बार तो गुज़रने वाले train के दरवाज़े पर बैठे लोगों के phone छीनने का भी ख्याल आया जैसे झुग्गी झोपड़ी के बाकी बच्चे करते हैं. पर इन दो भाइयों में कोई बात तो है जिन्हें बाकियों से अलग बनाती है. उनके मन की आवाज़ और इसी आवाज़ ने उन्हें आज ही गलत काम करने से रोक लिया।

एक सुबह दांत मांजते हुए चिन्ना के दिमाग की घंटी बजी और बड़े भाई से बोला, शिबू का कुत्ता पच्चीस हज़ार का है,क्यों ना हम भी अपने कुत्ते को बेचते है?फिर क्या सड़क के रुकी traffic में कुत्ते को गोद में ले लेकर उसे बेचने की कोशिश करने लगी, मगर लोगों ने दाम सुनकर उन्हें डांट कर भगा दिया। छोटे बच्चे, मालूम ही नहीं कि पच्चीस हज़ार कितने होते हैं।

जब किसी भी तरह बात नहीं बनी तो उन्होंने तय किया कि अब वो मेहनत करके पैसे कमाएंगे।पेरियार लोगों के घरों तक पानी के मटके पहुँचाता और छोटा भाई एक, दो, तीन, उंगलियों पर गिनता कि कितने मटके हुए।कभी वो दीवारों पे लगी पुराने poster निकालने का काम करते, कभी सड़क पर परचे बाटते,अब तक कुछ एक सौ बीस जमा हुए हैं और अस्सी रुपए होने पर पूरे दो सौ हो जाएंगे।

दो भाइयों फिर वो city center में कपड़े खरीदने जाएंगे कितना भोला मन है इनका, कितनी लगन है.अब एक दिन पैसे गिनने बैठें, तो पाया कि दो सौ से तीस रुपए ज़्यादा जमा हो गए।और अगले ही दिन बीस रुपए बस का किराया देकर शान से बैठकर city center कपड़े खरीदने निकलें,पर जैसे ही वह mall के सामने पहुंचे इतनी बड़ी इमारत की चकाचौंध देख उनकी हिम्मत नहीं हुई अंदर जाने की,वह घंटों बाहर बैठकर अंदर जाने की हिम्मत जुटाने लगे तभी एक आदमी अपने दो बच्चों के साथ ढेर सारी shopping कर बाहर निकला उसकी बच्चे पानी पूरी खाने की ज़िद कर रहे हैं।जिस पर आदमी बोला, यह भी कोई खाने की चीज़ है कल जो फ़ल मैंने लाए थे वह खाना तभी उसे याद आया कि mobile तो counter पर ही छूट गया है वह तुरंत लेने भागा।

इतने देर से सब कुछ देख रहा पेरियार, उन बच्चों से बोला, मैं तुम्हें यह खाने के पैसे दे सकता हूं।लेकिन इसके बदले तुम्हें तुम्हारे खरीदे कपड़े बेचने होंगे, बात वन गई।उन बच्चों ने नए कपड़ों का bag उन्हें थमा कर पानी पूरी खाने में मग्न हो गए एक प्यारा सा सौदा दोनों बच्चों में हुआ।जिसमें यह नहीं देखा गया कि किसे कितना ज़्यादा मिल रहा है.

बस एक दूसरे की ख्वाहिशें पूरी की गई.अब बस में ही कपड़े बदलकर पेरियार और चिन्ना ठाट से अपनी बस्ती में घुसे सारे बच्चों ने उन्हें देखते ही घेर लिया.अब वह pizza खाने चले आज तो उन्हें खाने से कोई नहीं रोक सकता बाकी बच्चे उनकी video बनाने लगे।

मगर आज भी security guard ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया शोर शराबा होने पर वहां का manager बाहर आया और पेरियार को एक तमाचा जड़ दिया जिसकी गूंज उसके अंदर तक पहुंचा।

पेरियार और कुछ ना कह सका वह हिम्मत हारने वालों में से नहीं है पर आज का धक्का ज़ोरदार था।उसे वक्त लगेगा उभरने में बड़े भाई को यूं देख पांच साल का जिन्ना को समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करें?

फिर यह रोता हुआ, वहां से निकल गया जब वह घर पहुंचे तो एक और मनहूस खबर उनका इंतज़ार कर रही थी,दादी नहीं रही दोनों भाई मां से लिपटकर बहुत रोये।

अब इधर अंतिम संस्कार के लिए पैसे कम पड़ गए, तो पेरियार ने pizza की जमा किए पैसे दे दिए कितनी अजीब बात है ना, यह पैसे किस काम के लिए थे और कहां खर्च हुए दादी ने ज़रूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे इसीलिए तो विदाई के समय उनके पोते के मेहनत के पैसों से वो विदा हुई।

सारा काम खत्म हुआ अब वो एक कमरे के घर में चार से तीन लोग हो गए दादी भले ही बूढ़ी थी पर एक बुज़ुर्ग का हाथ तो इस घर पर बना था।

अगले दिन झोपड़ी के बच्चे उस video को देख कर मज़ा ले रहे हैं. इतने में वही रहने वाले रमेश और बाबू ने वो video देख लिया उनको लगा उनके हाथ में तो जैसे सोने की खदान लग गई वो तुरंत pizza दुकान के मालिक के पास गए और video दिखाकर बोला, आपके manager की वजह से आपकी बहुत बदनामी हो सकती है, अगर हमने यह video news channel वालों को बेच दी.इसीलिए अच्छा होगा कि हम कुछ ले देकर बात यहीं निपटा लें।

मालिक ने उन्हें बाद में आने को कहा, और फिर management की meeting बुलाई जिसमें से एक वकील भी है.वह बोला, इन झुग्गी झोपड़ी वाले को मारना वो भी हमारे pizza shop के सामने ये मानव अधिकार का उल्लंघन है।

बहुत बड़ी मुश्किल में पड़ जाएंगे अगर किसी channel वाले को उसकी भनक तक लग गई ये लोग छोटे मोटे गुंडे हैं थोड़ा पैसा देकर बात रफा दफा करो क्योंकि जितने बड़े लोगों को इसका पता चलेगा उतनी ही बड़ी रकम बात को दबाने के देने होंगे।

अब रमेश को pizza मालिक के वकील का phone आया रमेश ने सोचा तीन पांच हज़ार मिल जाए तो भी वो video उन्हें दे देगा, मगर सामने से जब उसे एक लाख देने की बात कही गई, थोड़ी देर के लिए तो उसे समझ नहीं आया कि क्या उसने ठीक सुना भी लेकिन उसने सामने खड़े दोस्त बाबू को झूट कहा कि बात छह हज़ार में तय हुई है।

तीन तेरह तीन मेरा इसके बाद रमेश सज धज कर पैसे लेने पहुंचा और जैसे ही उसने वह video दी।सामने TV पर ताज़ा खबर आ रही है उसी video पर यह देखकर रमेश के तो होश उड़ गए लक्ष्मी आते ही हाथ से निकल गई।

Phone करने पर दूसरी तरफ से बाबू बोला, अरे तूने तो छह हज़ार की बात तय की थी, यहाँ news channel वाले ने सात हज़ार में बात पक्की की है, आजा आज के दारू party, मेरी तरफ से रमेश से पैसे तो वापस लिए ही साथ ही उसे काफी मार भी पड़ी।

यहां रायता इतना फ़ैल चुका है कि pizza की management के सर पर हाथ पड़ गया खबर आग की तरह फ़ैल रही है.दो झुग्गी झोपड़ी के बच्चे पैसे लेकर पिज्जा खरीदने गए लेकिन उन्हें थप्पड़ मारकर वहां से भगा दिया गया आखिर क्यों?

इस pizza shop के शहर भर में कई दुकानें हैं तभी वही delivery boy ने वह खबर देखी और उनके पास आकर उसने बताया कि वह उन बच्चों को जानता है तुरंत manager के साथ उसे बच्चों को लाने के लिए भेजा गया।

यहां अब तक उस इलाके के मंत्री के कान में भी यह बात पड़ चुकी है झुग्गी झोपड़ी के लोग उसकी तो ज़रूर सुनेंगे.पिज्जा मालिक ने मंत्री को phone लगाया एक तरफ मंत्री उनसे कह रहा है कि वो pizza वालों के साथ हूं बस पैसों का इंतज़ाम कर दे।

दूसरी तरफ झोपड़ी वालों से कह रहा है कि वह उनके साथ है और उन्हें आंदोलन के लिए प्रेरित कर रहा है।इधर आधी दुनिया को यह खबर पता चल चुकी है लेकिन पेरियाल चिन्ना या उसकी मां को कुछ मालूम ही नहीं।घर पर TV खोलते ही जैसे ही बच्चों ने खुद को TV पर देखा, वह डर गए यह सोचकर कि उनसे कोई बड़ी भूल हो गई है,तभी तो TV पर उनको दिखाया जा रहा है,और दोनो डरकर घर से भाग गए।रमेश और बाबू ने आकर उनकी मां को pizza spot के थप्पड़ वाली बात बताई.बच्चों को घर में ना देख, उन्हें ढूंढने को निकल पड़ी।

यहां पिज्जा दुकान के मालिक ने police को भी उन बच्चों को लाने भेजा है।अब मंत्री ने उनकी माँ को बुलाकर कहा, मैं तुम्हारी पति और बच्चों के बारे में सब जानता हूँ, उनकी कोई गलती नहीं, तुम चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगा और तुम्हारे पति को भी jail से छुड़वा दूंगा।

बस, बच्चे जैसे ही घर लौटे, उन्हें सीधा मेरे पास ले आना सबको अपनी अपनी पड़ी है सुबह से शाम हो आए उन दो भाइयों का कहीं कोई अता पता नहीं।ना जाने कहा डर कर छुप कर बैठे हैं।

पूरी रात उनकी मां चौखट पर बैठे उनका इंतज़ार करती रही सुबह police उनकी माँ को लेकर बच्चों को ढूँढने निकली, बच्चे police देखकर भागने ही वाले थे, कि माँ की आवाज़ सुन लौट आए।

मां ने उन्हें गले से लगा लिया उसे बहुत दुख हुआ कि उनके बच्चे को दुनिया के सामने मार खाते हुए दिखाया जा रहा है.Police सबको लेकर पिज्जा की दुकान पहुंची वहां पूरी मीडिया खड़ी है।

दुकान का मालिक खुद उन्हें अंदर लेकर गया और बताया कि उस manager को नौकरी से निकाल दिया गया है क्यों कि उसने गरीब बच्चे का अपमान किया है उसने सबके सामने माफी मांगी। मालिक अपने दुकान के बदनामी को होने से रोकने के लिए कर रहा है अब यहाँ जब बच्चों के सामने pizza लगाया गया, उनकी खुशी की सीमा नहीं रही।

मां और बाकी बच्चे उन्हें बाहर कांच के उस पार से देख कर खुश हो रहे हैं।पर यह क्या पिज्जा का पहला निवाला मुंह में लेते ही उन्हें उसका स्वाद अच्छा नहीं लगा और बोल बड़े इससे अच्छा तो दादी का डोसा वाला पिसा था pizza को वहीं छोड़ दोनों भाई मुस्कुराते हुए वहां से बाहर चले गए और कहानी यहीं खत्म हो जाती है।

अक्सर बड़े होने की होड़ में हम अपना बचपना गंवा देते हैं, ना दिल खोलकर हंसते हैं, ना आसमान से ऊँचे सपने देखते हैं.ना अड़ जाते हैं किसी चीज़ के पीछे तब डर नहीं लगता था.दुनिया में बड़े होते होते हमने डरना सीख लिया.कहीं हार जाने का डर, कि लोग क्या कहेंगे?कहीं गिर पड़ने का डर कि लोग हंसेंगे.इसलिए तो कहती हूं बच्चा बने रहना, हर किसी बड़े की बस की बात नहीं।

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